लोग कहते है, झूठ के पैर नहीं होते.....
समझ में नहीं आता..
झूठ इतनी तेजी से दौड़ कैसे जाता है....
काश ! प्रकृति कुछ ऐसा नेटवर्क बना दे,
पेड़ काटने वाले लोगों को जो,
फ्री में आॅक्सीजन मिल रही ,
उसका सर्वर हटा दें,
गोपाल अग्रवाल
कोई कितनी ही बेईमानी कर ले;
यह तो कोरोना का परिणाम ही बताएगा;
क्या खोया क्या पाया!
कोरोना महामारी में अब
इंसानियत हार रही है.
लूट की हैवानियत जीत रही है.
जमाना बताने लगा है कि
कौन इंसान है, कौन शैतान है
पत्थर दिल इंसान ही खड़ा कर सकते मुसीबत का पहाड़,
साहब.. यह भी सीजन ही है जहां
श्मशान व अस्पताल मैं भीड़ और बाजार खाली है
वाह रे कोरोना तेरा खेल..
किसी व्यापारी को दी दवा, किसी का बिगाड़ा खेल
बदलती दुनिया है जनाब
अब यहां
अपने भी सपने जैसे दिखने लगे..