kundan singh
Literary Lieutenant
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हवा कम पड़ रही है, दवा कम पड़ रही है, शमशान में चिताओं को जलाने की, और कब्रिस्तान में दफनाने को जमीन कम पड़ रही है, चारो ओर का मातम का माहौल छह रहा है, यू तो एक चेहरे पे हजार नकाब लिए फिरते हो, तो मुंह पर एक और नकाब डाल लो न क्या जाता है।

वो तो मां के प्यार ने सहेज कर रखा हमें, वरना गैरो के प्यार में बिखर से गए थे हम।


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