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राजेन्द्र कुमार मंडल
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Writer,Social Worker

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मोम सी रूह को बहुत चोट दिया उसने, जी किया एक बार पत्थर बन जाऊं। मगर दिल ठहर गया, की देख तू भी किसी के दिल पर मारने के काबिल मत बनो। पत्थर समझकर कोई उठाकर न फेंक दें। -राजेन्द्र कु० रत्नेश

प्यार क्यों दुःख देता है। क्योंकि कोई- कोई हो जाता है धोखेबाज। जुदाई में ही अक्सर ऐसे खुल जाते हैं राज।।

प्यार क्यों दुःख देता है। क्योंकि कोई- कोई हो जाता है धोखेबाज। जुदाई में ही अक्सर ऐसे खुल जाते हैं राज।।

😔😔😔😔😔😔😔😔 इच्छाओं से ऊपर उठकर न जीना ही दुख का कारण है। सभी इच्छाएं दुःख पैदा करती है। प्राणी अपना कर्म- काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि से परे होकर करें तो उसे दुःख नहीं आयेंगे। दुःख हमारे पास कई तरह के हैं जैसे शारीरिक, मानसिक आदि। हम अपने कर्मों व प्रकृति द्वारा दी गई शारीरिक रूप से दुःख पाते हैं।


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