आगे आगे हरेली तिहार, जीवन में लाए, खुशियां अपार छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्यौहार सावन मास में आगे फुहार ॥
सफर जिंदगी का कटता नहीं अब जीनें का मन करता नहीं, क्यों जिएं जा रहें जिंदगी इस प्रश्न का जवाब मिलता नहीं॥
जीवन का हर लम्हा कठिन कभी धूप कभी छांव जो इस लम्हे में ठहरा उसको मिला जीवन में पहरा ! प्रतिभा त्रिपाठी शिक्षक छत्तीसगढ़
देखा है हर चेहरे पर नकाब यहाँ पर क्यों आज हर इंसान रहता दोगला है अब तो करूँ किस पर भरोसा बोलो , हर कोई मेरे मुँह पर मेरा तेरे मुँह पर तेरा है। ✒️ प्रतिभा की कलम✒️