RAJESH KUMAR
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मां दुनिया में थी ,तेरा सहारा था तू दुनिया में नहीं है, हम कुशल हैं तेरी रहमतों का असर है ।

चाटुकारिता से आप कुछ समय के लिये बच सकते हैं। लेकिन इससे आप दूसरों की नजरों में गिर जाते हो,इससे आप भी कमजोर होते जाते हो।

म - ममत्व हि - हिम्मती ला - लावण्य

जिस देश ने भ्रष्ट आचरण स्वीकार कर लिया हो, उसका उथान कभी नही हो सकता, ना भौतिक,ना आध्यात्मिक।

बिजली के तारोँ में कितनी शक्ति है, उपकरणों को जोड़ कर ही पता चलता है। मनुष्य की शक्ति, उस पर आई विपत्ति के समय ही पता चलती है।

जैसे प्रकृति में एक लय है। हमे भी समयानुकुल लय के साथ जीना आना चाहिए।

जिस सिद्दत से मोबाइल का ध्यान रखते हैं। इसी तरह से मन, व शरीर का भी रखें।

गर्भ से कब्र तक की यात्रा शारीरिक मात्र नही है। ये हमारे विचारों की भी यात्रा है।

सुरों के मिलने से संगीत बनता है। संस्कार बनने से परिवार।


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