इक रात फिर यूं ही गुजर गयी कुछ सपनों को समेटकर कुछ अरमान आंखों में बंदकर गुमसुम आंखें खिल सी गयी धूप का टुकड़ा चौखट पे बिखरा देखकर.....स्वाती
निगाहें जरा क्या उठाई दूर दूर तक फैला उजला आसमां समझ ना पायी...... हरियाली ने दस्तक दी या तिमिर छंट गया पर हां जिंदगी फिर झूमने लगी गाने लगी.....स्वाती
Pain has its own language so does strength....... Pain sheds tears & suffers Strength nurtures and brings resilience & calmness....... Pain dreams of darkness & gloominess Strength often shows morning lights & hopes...... Pain has hollowness & chaotic heart Strength unfolds heart overflows with blooms & smiles....Swati
मधुर गूंजती बांसुरी संग कान्हा की रासलीला प्रेम सागर में डूबी श्याम दीवानी राधा विरह , व्याकुल व्यथा कह रही राधेश्याम की प्रेम कथा शाश्वत प्रेम , समर्पण और विरह का मेल अद्भुत है राधेकृष्ण का अलौकिक प्रेम.... स्वाती
टूटा बिखरा मन खुद को समेट हौसलों से उड़ने को हैं तैयार... हौसलों की डोर थाम राहों पे निकल पड़े हैं पांव... स्वाती
मुस्कान... चेहरे पे मुस्कान या फिर खिलखिलाती हंसी जिंदगी के जैसे मायने ही बदल दी ना जाने कबसे मुस्कान ढूंढ रही थी और अल्हड़ भोर की किरणें हौले से कह गयी घना अंधियारा तो बादलों की आगोश में छिपा बैठा है पर "मुस्कान" जिंदगी के हर लम्हों में बिखरी सी है किसी के छलकते आंसू पोंछकर तो देखो धूप की तपिश में छांव बनकर तो देखो "मुस्कान" तो मुस्कुराकर खुद गले लग जायेगी...
कुछ सपने देखो मेरे संग मैं संवरते देखूं तेरे संग खुशियां अपनी जी लो मेरे संग मैं मुस्कुराऊं तेरे संग दर्द अपने बांट लो मेरे संग मैं रो लूं तेरे संग चलो साथ चलें हम संग जिंदगी के सफर में हमसफ़र बन जाएं हम... स्वाती