Dobhal Girish
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''जिंदगी ने जिंदगी को जिंदगी भर शर्मिंदा रखा क्यों कैद जिस्म में रूह का परिंदा रखा,,

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जल,जीव,जमीन,जंगल सभी मानव से अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत हैं, और ये हालात तब हैं, जब मानव सभ्यता के लिए सभी अति आवश्यक हैं। - डोभाल गिरिश

"इतना तो बता दो कैसे ये गजब करते हो मेरे सीने में दिल नही तुम धड़कते हो" —Dobhal Girish

दर्द सीने से गुजर गया तो जहर बन गया गम की जैसी लहर बन गया जान तो कब की निकल चुकी है यारों ये जिस्म भी जिदगीं पे कहर बन गया —Dobhal Girish

"मैं जमीन देखता हूँ आसमान देखता हूँ हर तरफ तुझको ही मेरी जान देखता हूँ" —Dobhal Girish

"मुहब्बत नाम है तुम्हारा तुमसे से ही शुरू होती है इसे पैदा किया तुमने ही खत्म तुम पर ही होती है" —Dobhal Girish

"इश्क़ की आग अभी दिल में जलाये रखना मैं तो परवाना हूँ जलने के लिए राजी मत पूछ क्या है हाल मेरा और कौन है माँझी हूँ दिल -ए- आसना तू दिल से लगाये रखना" —Dobhal Girish

"मैं हर रात तेरी बाहों को महसूस करता हूँ मुहब्बत की हसीन राहों को महसूस करता हूँ जो मुझे पल पल तड़फाती हैं ऐसी हसीन आहों को महसूस करता हूँ" —Dobhal Girish

"हम सब में खुदा है और कोई खुदा नही होता हमारा खुदा हमसे कभी जुदा नही होता" —Dobhal Girish

"मेरे मालिक अजब तेरा जहान देखा इंसानों में शैतान और पत्थरों में भगवान देखा" —Dobhal Girish


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