''जिंदगी ने जिंदगी को जिंदगी भर शर्मिंदा रखा क्यों कैद जिस्म में रूह का परिंदा रखा,,
Share with friendsजल,जीव,जमीन,जंगल सभी मानव से अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत हैं, और ये हालात तब हैं, जब मानव सभ्यता के लिए सभी अति आवश्यक हैं। - डोभाल गिरिश
दर्द सीने से गुजर गया तो जहर बन गया गम की जैसी लहर बन गया जान तो कब की निकल चुकी है यारों ये जिस्म भी जिदगीं पे कहर बन गया —Dobhal Girish
"मुहब्बत नाम है तुम्हारा तुमसे से ही शुरू होती है इसे पैदा किया तुमने ही खत्म तुम पर ही होती है" —Dobhal Girish
"बन के तूफान तेरी राह में आ जाऊँगां मुझको रोकोगे तो एक सिलसिला बन जाऊँगां मेरे वजूद की इतनी ही कैंफियत हे अभी छूं के देखोगे तो एक माजरा बन जाऊँगां,, —Dobhal Girish
"इश्क़ की आग अभी दिल में जलाये रखना मैं तो परवाना हूँ जलने के लिए राजी मत पूछ क्या है हाल मेरा और कौन है माँझी हूँ दिल -ए- आसना तू दिल से लगाये रखना" —Dobhal Girish
"मैं हर रात तेरी बाहों को महसूस करता हूँ मुहब्बत की हसीन राहों को महसूस करता हूँ जो मुझे पल पल तड़फाती हैं ऐसी हसीन आहों को महसूस करता हूँ" —Dobhal Girish