Sunita Jauhari
Literary Captain
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मां तुम आत्मसंधान हो मां तुम मेरी जहान हो जुदा कभी हो सकती नहीं हूं अंश मैं,तुम महान हो ।

आवत जावत टूट गई पैर की पायलिया घूंघट में मुंह छिपावत आवत घर की डगरिया , आस लगा दिया की स्वर्णिम दिन की खातिर जाने कब सूरभूप बरसाएंगे अमृत बदरिया ।।

आवत जावत टूट गई पैर की पायलिया घूंघट में मुंह छिपावत आवत घर की डगरिया , आस लगा दिया की स्वर्णिम दिन की खातिर जाने कब सूरभूप बरसाएंगे अमृत बदरिया ।।


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