मां तुम आत्मसंधान हो
मां तुम मेरी जहान हो
जुदा कभी हो सकती नहीं
हूं अंश मैं,तुम महान हो ।
आवत जावत टूट गई पैर की पायलिया
घूंघट में मुंह छिपावत आवत घर की डगरिया ,
आस लगा दिया की स्वर्णिम दिन की खातिर
जाने कब सूरभूप बरसाएंगे अमृत बदरिया ।।
आवत जावत टूट गई पैर की पायलिया
घूंघट में मुंह छिपावत आवत घर की डगरिया ,
आस लगा दिया की स्वर्णिम दिन की खातिर
जाने कब सूरभूप बरसाएंगे अमृत बदरिया ।।