Kundan Victorita
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Writer, Poet, Athlete, Works at Indian Railways (ECR)

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कमबख्त शिकायत किसे है वक्त से हम तो मारे फिरे है तेरी मोहलत के... - Kundan Victory

हैरान हूं जो बोलती थी कि मैं उसकी जान हूं आज बोल गई मैं कौन हूं?

स्याही की जरूरत नहीं, खाली खत को भी पढ़ जाता हूँ, एक लेखक हूँ, जो ना देखूँ वो भी समझ जाता हूँ। - Kundan Victory

ये वक्त का सितम था या मर्जी खुदा की, तुमने हमको या हमने खुद को सजा दी, ये तेरी नाराजगी अब हमसे ना सही जाती, हम तुमको मनाए तूने ये हक भी कहाँ दी..

तुम करीब हो फिर भी नसीब में नहीं....

माना कि मंजिले आसान नहीं होंगी, पर 'लूजर' मेरी पहचान नहीं होगी।

बहुत फर्क है मुझमें और आपमें, आप भगवान भरोसे रहते हैं और मैं भगवान का भरोसा नहीं तोड़ सकता।


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