Rajeshwar Mandal
Literary Brigadier
226
Posts
1
Followers
0
Following

I am an official

Share with friends

ये अमावश की रात में उजाला कैसा चांद ने फिर रास्ता भटका है शायद

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar

इधर तो तूफां आया नहीं फिर आशियाना उजड़ा कैसे ज़ख्म जो दिखा नहीं शायद भेद गहरा होगा ~Rajeshwar


Feed

Library

Write

Notification
Profile