Rajeshwar Mandal
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फिर छलने की तैयारी है शायद मुझे बेवजह तारीफें क्यूं की जा रही है

मैं हिचकियों में उनकी यादें ढुंढता रहा जो खत्म हो गई आधे ग्लास पानी से (राजेश्वर मंडल)

मैं हिचकियों में उनकी यादें ढुंढता रहा जो खत्म हो गई आधे ग्लास पानी से (राजेश्वर मंडल)

बहुत शोर था तेरी मौजुदगियां अब मेरी खामोशियां भी उदास है

Fishes of aquarium punished by life time reason behind only that they are beautiful

हम भी कर्ज में आज डुबे होते गर हर फरमाइस तुम्हारी सुने होते ( राजेश्वर मंडल )

मृदभाषी होना विनम्रता का प्रतीक नहीं है

जब परिस्थिति प्रतिकुल हो तो कछुए तथा घोंघा की तरह वाह्य अंग समेट कर आत्म केन्द्रित हो जाना चाहिए।

जिस दिन सादगी श्रृंगार हो जाएगी, उस दिन आईने की हार हो जाएगी !!!! ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬


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