सर झुकाने से अगर इज्जत मिल जाती तो बुलंदिया मेरे भी अर्श तक जाती रही शराफत उनकी मगर मतलब तक मै अगर बेवफा ना बनती तो मर जाती.
कैसी होली कैसा ग़ुलाल कैसे है ये रंग कैसा ये त्यौहार है जब पिया नहीं हो संग. एक होली हो वो जो दे मिलन की सौगात साथ रहे हरदम हम दोनों दिन हो या रात.