Kusum Kaushik
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I am head mistress of my school.

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वाणी का वार ,करता ह्रदय तार-तार। ज़ख्म दिखते नहीं, पर छलनी होता है हर बार।

का कहियो केहू और का, सुनिहौ पहले पहल। वाणी ऐसी बोलिये,जो करे ना हिय मा खलल।

बड़ी पूँछ की, पूँछ बड़ी अडी़ लकड़िया, रही खड़ी।

खसम किया संग सोने को, लग गयी पत्थर ढोने को।

सत गुन बहहिं जस सुरसरि धारा करहिं पुनीत हिय बारहिं बारा


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