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लिखा तो बहुत कुछ मैंने ये बीतें दिनों में, पर सब, सब हसरतों के खिलाफ था ! लिखा तो बहुत कुछ मैंने ये बीतें दिनों में, पर सब, सब हसरतों के खिलाफ था !
चाहे छोड़ जाए यह शहर, पूरे करने अपने सपने, हम सब रहेंगे बनके एक दूसरे के अपने, खूब तंग किया है सब... चाहे छोड़ जाए यह शहर, पूरे करने अपने सपने, हम सब रहेंगे बनके एक दूसरे के अपने,...