इनका का जन्म जनवरी 1995 में बिहार के समस्तीपुर जिले के एक छोटे से कस्बा टारा में एक साधारण और शिक्षित परिवार में हुआ। पिता सेवानिवृत्त है जो डाकघर में नौकरी करते थे, जिनका नाम श्री मँगनी साहू है। इनके माता गृहणी हैं जिनका नाम श्री मति लक्ष्मी देवी है। ये चार भाई में साझिल है। इनका पढ़ने लिखने में... Read more
इनका का जन्म जनवरी 1995 में बिहार के समस्तीपुर जिले के एक छोटे से कस्बा टारा में एक साधारण और शिक्षित परिवार में हुआ। पिता सेवानिवृत्त है जो डाकघर में नौकरी करते थे, जिनका नाम श्री मँगनी साहू है। इनके माता गृहणी हैं जिनका नाम श्री मति लक्ष्मी देवी है। ये चार भाई में साझिल है। इनका पढ़ने लिखने में रुचि तो था ही लेकिन साथ मे खेलने में भी और ये बहुत ही शांत स्वभाव के थे।ऐसा कहा जाता है कि जब ये छोटे थे तब से ही हिंदी से जुड़े रहे और शेरों शायरी में इनका लगाव बचपन से ही था और ये चित्रहार और शायरी की किताबें बहुत पढ़ा करते थे। ये दसवीं कक्षा तक हिंदी से जुड़े रहे लेकिन अन्तःस्नातक में हिंदी से दूर हो गए और ये सिलसिला चलता रहा। जब ये स्नातक में गए ,तब दिल को वक़्त वक़्त पे झटका लगने लगा, कभी वक़्त ने आईने दिखाए तो कभी जिंदगी ने। इन सब से निपटने के लिए ये फिर से साहित्य से जुड़ गए और लिखने लगे। तब से लिखने का सिलसिला चल पड़ा और अब तक ये दो किताब के सह-लेखक भी बन चुके है। इनकी कविता, ग़ज़ल, गीत और शायरी बहुत सारी वेबसाइट और रोजनामें में छपते रहता है। इनको कविता पाठ करने में बहुत रुचि है।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा गावँ से ही हुई है, बाद में ये रोसड़ा गए दसवीं के लिए, फिर अन्तःस्नातक के दरभंगा गए और फिर कोटा भी गए थे इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए, और बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग(B Tech Mechanical) कोलकाता से किया और फ़िर साहित्य के चाह में दिल्ली निकल गए लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और वो Gate exam में पास करके M Tech (Thermal engineering) में दाखिला से NIT Rourkela में।
ये सक्रिय लेखन करते हैं विगत कुछ वर्षों से। ये प्रेम गीत और देश भक्ति जैसे चित्र को अपने लिखावट में उतारते हैं। ये अपनी लिखावट में समाज सुधारक और औरत की स्थिति को साफ़ साफ़ दर्शाते हैं।
कुछ रचनाएँ इस प्रकार है - तेरे संग गुजरा वो ज़माना, एक कल्पना भारत, जब हम मिलेंगे प्यार से, चंद पल कि थी अपनी कहानी, मंजिल तुझे बुला रही देख, वक़्त के हथियार, सितमगर है वो, अंधी हुक़ूमत, हिमालय सी भारत, दिल्ली चलो, मैं नही मानता, पूरा गुलज़ार था मैं, मैं अहमद फ़राज़ हुआ होता, गुमान, ग़ालिब की याद, गिरती सोच, बेटी की आवाज, दिल तो पागल है, प्यार करे तो प्यार को निभाए कोई, तुमसे प्यार हो गया, आज फिर तेरे होने की तमन्ना ने जगाया, रूह से नकाब कोई, किसने तुमको रोक है, चौखट से ना फिराना' आदि जैसी कई कविता ग़ज़ल और गीत लिखें हैं।
ये स्वतंत्र लेखन में विश्वास रखते है। इनका ई-मेल संपर्क है।neerajkumarnk1995@gmail.com Read less