Seemeen Siddiqui
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आशिक़ी बराबर »«»«»«»«»«»«»«»«»

हमको जो जीत ले सिकंदर वो तुम नहीं। दिल में है कोई बेशक, अंदर वो तुम नहीं। हम पर जो लूटाता है दिन-रात क्या कहें। चाहत का लबालब, समंदर वो तुम नहीं।

आशिक़ी बराबर »«»«»«»«»«»«»«»«»

साथ चलते हुए तुम कहां खो गए। जब हमारे थे क्यों और के हो गए। मेरे ख्वाबों की दुनिया में तुम थे बसे, नींद मेरी उड़ी ख़्वाब सब सो गए।


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