Ritesh Kumar
Literary Captain
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मोहब्बत की दुनिया जज्बात नहीं समझती । दिल में क्या है वो बात नहीं समझती ।। तन्हा तो सितारों के बीच चांद भी है। पर चांद का दर्द वो रात नहीं समझती ।।

अब तो सच्ची मोहब्बत महबूबा मौत निभायेगी, मेरी जिंदगी तुम बेवफा निकली साथ तो अब मौत लेकर जायेगी।

ममता की जीती जागती मूरत हो मां तुुम कुदरत का दिया वरदान हो मां तुम  निस्वार्थ प्रेम का आधार हो मां तुम तुम्हारा साथ होना कदमों तले जन्नत होने से कम नहीं, तुम्हारा साथ ना होना किसी अभीषाप से कम नहीं...✍️

समा खेलतीं परवाने संग खून की हरदम होली, देख दूसरा पास है आता कैसी है ये पहेली!!!


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