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चांद आई नहीं की सूरज ढला नहीं । खुशियां आई भी तो वो हमसे मिले नहीं ।
समय बहत तेज भाग रहा है मुझसे, ना दौड़ सक्ती हूं ना उसे पकड़ सक्ती हूं । बास सही समय का इंतजार कर सक्ती हूं।