कहने को सब करीब हैं,
फिर क्यों अचरज होता है,
दिल के जज्बातों पर,
जो परायों को अपना मान लेता है।
सब कुछ पीछे छूट जाता है,
बस यादें रह जाती हैं ।
तुम कुछ सोचते हो,मैं सुन लेती हूँ,
फिर कौन कहता है,हम अलग हैं ।
तुमसे रूठ कर तुम्हें ही चाहना,तुम्हें न भूलकर खुद को भूल जाना, गर ये प्यार है ,तो ,हाँ, मुझे तुमसे प्यार है।