Supriya Singh
Literary Colonel
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सच भी हार जाता है कभी-कभी झूठ से, वक्त अच्छा न हो तो लोग भी चले जाते हैं रुठ के

आम हूँ पर खास नहीं, जिंदगी फ़िर भी उदास नहीं। आम होकर भी अपने में खास हूँ, क्योंकि इंसानियत से अलग अपनी कोई चाह नहीं।। "सुप्रिया सिंह"

जीवन जिया लम्बा तो क्या जिया, छोटा पर उपयोगी ही सचमुच जिया

जीवन जिया लम्बा तो क्या जिया, छोटा पर उपयोगी ही सचमुच जिया


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