"चाहने से चाहतें पूरी नहीं हुआ करती, उसके लिए कर्मपथ पर निरंतर चलना आवश्यक है।" -ज्योति कुमारी(कौशिकी)
"सृष्टि का निर्माण भी गुण-दोष के आधार पर हुआ है, कहीं कुछ-न- कुछ कमी अवश्य रह गई है, किन्तु सभी गुण-दोषों से परे संपूर्णता धारण करनेवाला एक शब्द 'माँ' है जो सृष्टि की सभी कमियों को दूर करने में सक्षम है।" -ज्योति कुमारी
"जिसके अदम्य समर्पण में ईश्वर ने शीश झुकाया है, वैसी ही मेरी जन्मदात्री माँ की निर्मल काया है।" -ज्योति कुमारी
"पंचभूतों में सर्वश्रेष्ठ, जीवों को काया प्रदान कर निज गर्भ से नित्य नवीन उत्पत्ति कर सबों को समान रूप से पोषित करने वाली जन्मदात्री पृथ्वी ही है, जो अंत में भी अपनी गोद में स्थान देने को सज्ज रहती है।" - ज्योति कुमारी
"जननी है, जाया है, नित साहित्य की गढ़ती काया है, लालित्य का विषय बनी, हिंदी हिन्दुस्तान की काया है।" -ज्योति कुमारी
"चरित्रहीन वह नहीं जो दस उंगलियों से घिरी हो, चरित्रहीन तो वह है जिसकी सोंच कभी उठी नहीं।" -ज्योति कुमारी
"जिसमें निज का समर्पण सर्वोपरि हो वह दया भाव का सहज अधिष्ठाता बन जाता है और यही दयालुता उसे नर से नारायण के शीर्ष पर पहुंचा देती है।" -ज्योति कुमारी