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कुछ न कुछ ऐब हम सब में होते हैं, चांद भी तो दाग़ से सना है। मगर खूबसूरत वो भी, खूबसूरत हम भी। फर्क सिर्फ़ इतना है कि महताब के चाहने वाले नज़्म लिख के उससे खुशामदीद करते है, हमारे चाहने वाले ग़ालिब नहीं।