SUMAN ARPAN
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Advocate, social activist, writer, poet, politician (B.J.P), The Pride:Voice of rights (NGO-Founder)

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अपनी नेकियों को ज़रा हिफ़ाज़त से रखना! सुना है बुराई नया नक़ाब दूंढ रहीं हैं! सुमनअर्पण

विजय ही विकल्प है ,पथ पर है संघर्ष बहुत! कंटक चुन कर आगे बढ़ो, पथ पर है काँटे बहुत ! हिम्मत अब तेरी चुनौती है, पथ पर है अंगार बहुत! हरा दे तुफा को अब ,बस विजय ही विकल्प है ! सुमनअर्पण

साज दे ते थे वो,राग मै थीं गाती! बाँसुरी प्रेम की हर पल बजाती! साँसों की सरगम पे प्रेम धुन बजती रहे! ज़िन्दगी यूँ ही मिलन गीत गातीं रहे ! सुमनअर्पण

गुनहगारों की आँखों में, झूठे ग़ुरूर होते हैं.. शर्मिन्दा तो यहाँ,..सिर्फ़ बेक़सूर होते हैं.. गिरते का हाथ कौन थामता है भला? गर्दन काटने में सभी मसरूफ होते है! सुमनअर्पण

सपनो का था एक आशियाँ बनाया, तिनका तिनका चुन कर घरौंदा सजाया! संस्कार और मानवता उसमें का पौधा लगाया ! मानवीय मूल्यों की खिड़की.आदर्शो का दरवाज़ा लगाया!बडे प्यार से घर हमने अपना सजाया!

सभी मेरी हसरतों का खुन पी कर, मुस्कुरा कर बोले ! एक जाम और एक जाम और ! सुमनअर्पण

अपनी क़ीमत का हमें यूँ अन्दाज़ा न था ! हमारा भोलापन देख,लोग हमें लुटते रहे ! सुमनअर्पण

मारे कत्ल की उनकी , सारी कोशिशें नाकाम हो गई! पर प्यार हमारा परवान था? हार कर वो बोले कि सच सच बताओ तुम कौन हो? मैंने भी मुस्कुरा कर सच बता दिया! मानवता! सुमनअर्पण अधिवक्ता

तु मेरे साथ साथ आसमाँ में चल, तुझे पुकारता है आने वाला उज्ज्वल कल! अतीत की राख मे बस चिंगारियाँ होती है!हाथ में ले मशाल,बढ़ उजालों के सफ़र की और! सुमनअर्पण


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