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विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर में बसाना? जाग तुझको... विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर म...
इन श्वासों का इतिहास आँकते युग बीते; रोमों में भर भर पुलक लौटते पल रीते; यह ढुलक रही है याद इन श्वासों का इतिहास आँकते युग बीते; रोमों में भर भर पुलक लौटते पल रीते; यह ...
आँसुओं का कोष उर, दृग अश्रु की टकसाल, तरल जल-कण से बने घन-सा क्षणिक मृदुगात; जीवन विरह का जलजात! आँसुओं का कोष उर, दृग अश्रु की टकसाल, तरल जल-कण से बने घन-सा क्षणिक मृदुगात; ज...