अपने और मेरे एहसास पढ़ें मेरी ग़ज़लों में। हिमांशु जायसवाल 'काविश' !
तो क्या हुआ वो दोस्ती है जो काँधों पे लेकर जायेगी।
हमारी मेहनत की कीमत देने को वो ना राजी था जुल्म जिसने किये हम पर वो पैकर काज़ी था!