I am a writer on Story mirror web portal
Share with friendsजो तेरी आँखों से पहले तेरे अपनों की आँखों में आ जाया करते उन अश्क़ों को यूँ बेबात बेवज़ह ज़ाया नहीं करते !! सविता सिंह
अपनी सोच से दूसरों का आंकलन करना अक्सर धोखा देता है क्योंकि नक़ाब इतने ख़ूबसूरत होते हैं ,पीछे का चेहरा नहीं दिखता !! सविता सिंह
रग रग में लहू बन के दौड़े वो इश्क़ है साँसों के साथ आता जाता वो इश्क़ है दिल की धड़कनों में बस जाता वो इश्क़ है एहसास बनके साथ रहता वो इश्क़ है !! सविता सिंह