Savita Singh
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जो तेरी आँखों से पहले तेरे अपनों की आँखों में आ जाया करते उन अश्क़ों को यूँ बेबात बेवज़ह ज़ाया नहीं करते !! सविता सिंह

दिमाग़ पर ज़ोर देकर मेरी गलतियां ढूंढते हो कभी दिल पर हाथ रखकर सोचो कुसूरवार कौन !! सविता सिंह

अपनी सोच से दूसरों का आंकलन करना अक्सर धोखा देता है क्योंकि नक़ाब इतने ख़ूबसूरत होते हैं ,पीछे का चेहरा नहीं दिखता !! सविता सिंह

एक बार यूँ ही हो गई मुलाक़ात एक चमन से ख़ार हमने चुन लिए गुल को न चोट आये !! सविता सिंह

रग रग में लहू बन के दौड़े वो इश्क़ है साँसों के साथ आता जाता वो इश्क़ है दिल की धड़कनों में बस जाता वो इश्क़ है एहसास बनके साथ रहता वो इश्क़ है !! सविता सिंह

सोचा था दर्द की दरिया को साहिल तो मिलेगा पर उसने तो दर्दे दरिया को समंदर बना डाला !! सविता सिंह

वो ज़ख्म बहुत दर्द देते हैं जो बेक़ुसूर मिल जाते हैं सविता सिंह


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