Ruchi Chhabra
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I learnt to smile when ignored I learned to ignore with smile I sailed through the calm I survived the high tide.. coz all who loved me were standing by my side --Ruchi Chhabra

कुछ अजब रंग है बहारों का गुल से भरे गुलज़ारों का महफ़िल जो इतनी रौशन है आज ये नूर है बिछड़े यारों का ..रूचि छाबड़ा

किसी ने पूछा हमसे बोलो कितना कमाया है मैने मुस्कुरा कर कहा ज़मीन पर तो दुनिया मकान बनाती है हमने तो हर दिल में घर बनाया है ...रूचि छाबड़ा

जब भी कहती हूं कि "मुझे भूख नहीं" तो तुम्हारी बहुत याद आती है क्योंकि "भूख नहीं है" कहने पर भी "बस थोड़ा सा खा ले" कह कर केवल मां ही खिलाती है

उम्मीद का दामन मत छोड़ना दोस्त मां के आंचल के बाद एक यही तो है जो सुकून देता है..

मां... आज भी जब हालातों और मुश्किलों से मन डरता है तो तेरे आंचल में छुप कर सोने को मन करता है

गर्म हवाओं का रुख हमने मोड़ दिया हमने जो परेशानी की वजह बन गए है उन्हें दिल तो क्या दिमाग़ में रखना भी छोड़ दिया हमने

कभी दिया बने कभी शमा कि चाहत है उन्हें रोशनी पाने की दिल दुखा बहुत जब जाना कि उन्हें तो हसरत है बस हमें जलाने की

इतराते हुए देखा मैंने गिरगिट को बोली देखो बदलता रंग मेरा मैंने कहा इंसान से मुकाबला कर वहम दूर होजाएगा तेरा


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