बस दिल की सुनकर, क़लम चलाती हूं..
अगर मेरी मंज़िल तू ना हुई, तो उन राहों का सफ़र में होना फ़िज़ूल है.. -आयुषी कुमारी
हिसाब जो अश्कों का थी मैं रख नहीं पाती, तो स्याह बना उसे, बस हंसती हूं.. यूंही नहीं, मैं लिखती हूं..! -आयुषी कुमारी