Kya Meri Shakl Dekhte Rehte Ho Tum Log.
Kya Kabhi Aaine Se Bhe Poocha Hai, Ki Wo Kaisa Dikhta Hai?
कुछ सपने आंखों से बयाँ होते हैं
या कभी, शिकन की दरारों में निहां होते हैं।
अवाज देते हैं हर रोज़ समझाने को तुम्हे
लेकिन कई बार चेहरे की झुर्रियों के साथ खड़े होते हैं।
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