ठंडक नें फिर.. दस्तक दी है.. तेरी यादों की तपिश खुद ही बढ़नें लगी है..मालूम हो जैसे मौसम को भी ये...कमी दिल को तेरी फिर खलनें लगी है...! 'नीतू सिंह'
अनंत दीपों की जगमगाहट सा रौशन आपका जीवन हो.. समृद्धि और ऐश्वर्य से परिपूर्ण.... हार्दिक शुभकामनाओं के साथ शुभ दीपावली *नीतू सिंह*
चाहती हूं मैं शब्दों में बांधना उन लम्हों को जिन में तुम हो है मेरा प्रेम और विश्वास मेरा जिन लम्हों में तुम गुम हो.... पर भावनाएं...ठहरती नहीं..!
बिना तुम्हारे दिन भी होगा..? होगी रात घनीं अंधियारी.. तुम बिन हम जी भी पाएंगें क्या ऐसा भी दिन आएगा...? नीतू सिंह..
तितलियों सी चंचलता ओढ़ मन दौड़ता है उस खुशबू और रंग के पीछे...जिसे पाया था उसनें भोर के स्वप्न में..