कि दिल्ली की गलियों से भी छोटी आपकी सोच है,
आप मुझे ना समझ पाए इस बात का अफसोस है..
-हरत कुमार
स्वयं को कभी कमजोर साबित ना होने दें,
क्योंकि डूबते सूरज को देखकर लोग घरों के दरवाजे बंद करने लगते हैं..!
परख से परे है...
ये शख्सियत मेरी...
मैं उन्हीं के लिए हूँ,
जो समझे कद्र मेरी...
हमारे संस्कार हमें झुकना सिखाते हैं, मगर किसी की अकड़ के आगे नहीं