राही अंजाना
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राही छायाचित्र कवि

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मैं जब मिलता था वो मुझको डाँटती थी बड़े प्यार से मगर शर्ट के बटन टांकती थी। राही अंजाना

"सरहद के रंग में जो बेरंगा हो जाता है, तिरंगे से लिपट के वो तिरंगा हो जाता है।" राही अंजाना

दिन और रात के मायने बदल देता है, इश्क में इंसा सारे आईने बदल देता है।। राही अंजाना

दिल से दिल तक अपना रस्ता बना लेती है, ये हिंदी ही हम सबको अपना बना लेती है।। राही अंजाना

मैं दिन में नहीं रात में आऊंगा, मैं ख्वाब हूँ ख्वाब में आऊंगा।। राही अंजाना

अपने दिल को दिमाग से हर रोज लड़ता है, इंसान इंसानों के बीच रहके फड़फड़ाता है॥ राही अंजाना


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