सहानुभूति एक उपकरण है जो हमें लोगो को साथ लाने में सहायता करता है साथ ही आत्म जूनून से उपर उठकर कार्य करने की अनुमति देता है।
आत्म-जागरूकता वह चाबी है जो हमारे सारे आत्मिक ताले खोल सकती है।
अपने जीवन में हमें सही समय पर निर्णय लेना चाहिए- ना ही शीघ्र ना ही विलंब
बुद्धिमान है वह व्यक्ति जो स्वयं के दोष देख सकता है।
जैसे-जैसे हमारी आयु में वृद्धि होती है, हम वैसे समझते हैं कि चेतना कैसे सक्रिय होती है।
इस संसार में सर्वोपरि रिशता भक्त और भगवान के बीच होता है क्योंकि भगवान जन्मदाता है मनुष्य उनके बालक।
तनाव व्यक्ति के जीवन का बोझ है जो हमें खुशियों का भार उठाने में असमर्थ बनाता है।
हमारे पास जो कुछ भी है हमें उसके लिए भगवान को आभार प्रकट करना चाहिए,फिर हर चीज जो हमें चाहिए हम उसके लिए आभारी रहेंगे।
अपने हर चयन से हम अपना जीवन निर्मित करते हैं और अपने हर निर्णय से हम उसे सजाते हैं।