वो कहते हैं मोहब्बत छोड़ दी हमने
फिर न जाने क्यों किताबों से मेरी तस्वीर निकलती है
Waseeq qureshi
ये ज़मींनो आसमान, क्या गुलिस्तां का करें
तुम ना हो तो क्या, जी कर इस जहाँ में करें
दीदा- ओ -दिल की रिफ़ाक़त नही मिरे पास
फिर फ़स्ल-ए-गुल का, क्या इस जहाँ में करें
मैंने खोया भी तो क्या जो अपना ना था
फिर क्यों ग़म -ए- सूद-ओ- ज़ियाँ का करें