""हम बचपन में बड़े होने की कामना करते हैं,और जब बड़े हो जाते हैं, तो बचपना पाने की कामना करते हैं, किशोरावस्था की सभी बाते भूल जाते हैं,लेकिन बचपन कि कभी नहीं भूल पाते। यही हमारा बचपन है। @संजय कुमार
हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा, एक रोशनी कि तलाश है सभी ने साथ छोड़ा बस इन किताबों का साथ है। ढूंढता हूं एक दीपक की जग रोशन करूंगा एक दिन दुनिया होती जहाँ है रोशन वो दीपक किताबों के पास है। (@संजय कुमार)
मैं कोई भी काम इसलिए नहीं करता कि मैं ये काम कर लूंगा मैं तो बस कोई काम इसलिए करता हूं कि शायद ये काम मेरे से हो जाए। @संजय कुमार