Abhinav Singh
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बस यादें रह गई थी इच्छा तुमसे सब कुछ कहने की । लेकिन मैं कुछ सहम सा जाता था। सोचता था तुमसे मिलकर करेंगे, बहुत सारी बातें लेकिन तुम्हारी मासूमियत सा चेहरा देखकर मैं कुछ पिघल सा जाता था। मैं कुछ अधीर सा हो जाता, तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी स्मृति के सागर में, मैं सब कुछ भूल जाता था। सोचता हूं! काश फिर तुमसे मिल पाता अपने मन की बातें तुमसे कह पाता लेकिन कुछ यूं हुआ ,कि मेरे सब सपने बस सपने बन

बस यादें रह गई थी इच्छा तुमसे सब कुछ कहने की । लेकिन मैं कुछ सहम सा जाता था। सोचता था तुमसे मिलकर करेंगे, बहुत सारी बातें लेकिन तुम्हारी मासूमियत सा चेहरा देखकर मैं कुछ पिघल सा जाता था। मैं कुछ अधीर सा हो जाता, तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी स्मृति के सागर में, मैं सब कुछ भूल जाता था। सोचता हूं! काश फिर तुमसे मिल पाता अपने मन की बातें तुमसे कह पाता लेकिन कुछ यूं हुआ ,कि मेरे सब सपने बस सपने बन


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