Ankita Saini
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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ज़िंदगी न जाने किस राह से गुज़र रही है🤔 अब तो मुस्कुराने की वजह भी तलाशनी पड़ रही है🥺

वक्त लगता है सपनों को हकी़कत में बदलने में, वक्त लगता है गिरकर संभलने में, वक्त लगता है, कुछ भी नहीं से कुछ बनने में, और वक़्त लगता है मेरे दोस्त, बिख़री ज़िन्दगी को फि़र से संवरने में।।

जिस दिन तुम्हें बोलने का सलीका आ जाएगा, शायद, उस दिन हमें जवाब देने का तरीका भी आ जाएगा।।

अगर नाराजगी है किसी से, तो उसे दूर करो, जिससे भी मिलो, उसे हसने पर मजबूर करो, क्या पता आज जिनसे मिले हो कल मिल पाओ या नहीं, आज ढलता सूरज देखा है कल खिलता हुआ देख पाओ या नहीं??

अगर नाराज़गी है किसी से, तो उसे दूर करो, जिससे भी मिलो, उसे हंसने पर मजबूर करो, क्या पता आज जिनसे मिले हो कल मिल पाओ या नहीं, आज ढलता सूरज देखा है कल खिलता हुआ देख पाओ या नहीं??

क्यों हैं नम ऑंखें सबकी, क्यों सबका दिल उदास है? जो हाथों की लकीरों में नहीं क्यों वही दिल के पास है ? ये  कैसा दौर है, ये कैसा ज़माना है? प्यार है सबके दिलों में,पर जो पास है वही अंजाना है।।                        ☹☹

ऐसा नहीं है कि जिंदगी ने हमेशा गम ही दिए हैं, पर क्या है ना, हँसने के मौके ज़रा कम ही दिए हैं😔

बहुत सह लिया मैंने , अब मैं अपने सब्र की हद पर खडा हूँ , या तो  टूट कर बिखरूंगा या तो संभल कर निखरूंगा। ।

हँसते चेहरे के पीछे क्या छुपा है ये कौन जान पाया है, माँ को तो जान लिया सबने पर पिता की खामोशी को कौन पहचान पाया है ??


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