Mridula Kumari
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AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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जीवन सांसों की रफ्तार से नहीं बनती, ये रिश्तों की फनकार से बनती है। रिश्ते मात्र तारीफों की फुहार से नहीं, इक दूसरे में हुई तकरार से चलती है।😌😌🙏 मृदुला🙏

मां का चुंबन मां का चुंबन, मां का आलिंगन, ना होगा हमसे इसका वर्णन। कहां मिला है इस जग को, बिन शर्त कोई ऐसा संरक्षण। वार दिया जो हमपर पुरा जीवन, बस चाहें हम सदा यही चरणन। ..✍️मृदुला

आज फिर घटाएं घिर आईं,  देखो गीतों की बेला आई । धरा पे बूंदों को लिए जो गगन बरसा, आज गीतों की क्षुधा को फिर मन तरसा।  🌹_____© मृदुला 🌹🙏🙏


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