एक रोज दिल हार गया बाकी सब जीत गया जिसको जीतना था उसी से हार गया नींद चैन सब निसार दिया पनाह मिली पर प्यार ना मिला एक जान थी वो भी वार दिया सुकून शिकवा गिला सब मिला अनजाने में एक शख्स मिला ऐसा मिला के फिर कोई नही मिला manu
मैं अब इस तरह बड़ी हो गई कि अपनी सारी उदासी बिल्कुल उसी तरह छुपा लेती हूँ जैसे माँ नहीं कहती है रोटी नहीं है और पापा नहीं कहते हे अब पैसे नहीं है