Deepak Kumar

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सुधरी हे तो बस मेरी आदते… वरना मेरे शौक.. वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं…!!! -- दीपक कुमार

दुनियाँ में इतनी रस्में क्यों हैं, प्यार अगर ज़िंदगी है तो इसमें कसमें क्यों हैं, हमें बताता क्यों नहीं ये राज़ कोई, दिल अगर अपना है तो किसी और के बस में क्यों है -- दीपक कुमार

एक हसीन पल की जरूरत है हमें, बीते हुए कल की जरूरत है हमें, सारा जहाँ रूठ गया हमसे.. जो कभी ना रूठे ऐसे दोस्त की जरूरत है हमें -- दीपक कुमार

मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए.... -- दीपक कुमार


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