Santosh Jha
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निगाहे मेरी ढूंढती हर तलक तेरी निगाहों को सुकून की नींद आए इन आंखो को एक अरसा सा हो गया

उस एक खोये शख्स को ढूंढ रहा हूं मैं । जो भीड़ में नहीं, कमरों के चार दीवारों में खो गया है ।।


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