Amit kumar
Literary Colonel
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सोचा था एक दिन तो तुझे पा ही लेंगे लकिन ये न मालूम था कि पा कर भी तुझे खो देंगे

तेरी यादों में हम ग़ज़ल लिखा करते हैं पागल हो गई वो कलम भी जिससे तेरा नाम हम बार बार लिखा करते हैं

मिले जो दूजा जन्म मुझे तू ही मेरी माँ बने और तेरी कोख ही मिले मुझे

सोचा इस दिल को ही जला दूँ लकिन इस दिल में तो तुझे बसा रखा है

तू कहे तो इस दुनिया को छोड़ जाऊँ पर तेरे शिवा किसी और को न पाऊँ


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