@shubham-amar-pandey

Shubham Amar Pandey
Literary Colonel
15
Posts
1
Followers
1
Following

Poet

Share with friends

कई किरदार जीने की ख्वाहिश करता हूं मैं, वो अलग बात है कि रोज कई बार मरता हूं मैं।।

कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।।

शोर की हर खामोशी का आदी हूं मैं अंधेरी रात का अकेला फरियादी हूं मैं।।


Feed

Library

Write

Notification
Profile