None मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं आप को क्या सुनाऊ,पथिक । कहा पोस्ट ,कहा अपलोड करू बड़ी मुश्किल में हूं , पथिक । सोच – सोच कर बुरा हाल है कोई ढ़ंग का तो रचना हो , पथिक। लिख कर तो कागज भरा पड़ा आप को क्या सुनाऊ, पथिक । पसंद हो या ना पसंद हो लिखा तो हमने ही , पथिक । अब भी है , दावात बचा ढंग का... Read more
Share with friendsअपने आप से भी नाराज रहने की कोई वजह होती है, दिल धड़क धड़क धड़के और आखों का कोर भीगा कर सवेरा हो जाइए ,इसमें भी एक मजा होती है।
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा, कुछ इसे कदर, मुझे तन्हा किया, अपने दर्द समेटा, कुछ इसे कदर, अंधकार में ठोकर खाई जिस कदर।
कभी अंधेरे में हम साया बना हो, तो चले आना। जब दिल की खामोशी मिटाना है, तो चले आना। तनहाई में एकांत ही पाएंगे अपने को, तो चले आना। राह में अभी कांटे हैं, फूल खिलने पर ही, तो चले आना। गौतम साव
ये दूरियां मजबूरी नही, ये दूरियां इम्तिहान है। ये तन्हाया इन्कार नही, ये तन्हाया इकरार है । गौतम साव
कुछ एक आशू, कुछ एक आखों में होगा, रात के आंचल में हर सितारा भी रोशन होगा , कुछ सपना टूटने का सन्नाटा भी होगा, एक जिवन का परिचय का अंत भी होगा । गौतम साव
खुश होगा आंधकार भी एक दिन, होगा एक शाम रौशन भी एक दिन, तब होगा शमशान जसन भी एक दिन, पंचताव में विलीन होगा नश्वर शारीर एक दिन। गौतम साव