प्रत्येक संतान जीवन पर्यन्त माता पिता से सिर्फ पाने की इच्छा रखते हैं कभी माता-पिता को देने की इच्छा नहीं होती है। वह सन्तान धन्य है जो सर्वप्रथम माता-पिता के लिए सोचते हैं उसके बाद किसी और के लिए।
जो आपसे नफरत करते हैं उनके बारे में सोच सोच कर दुखी होने से तो अच्छा है, जो आपसे प्यार करते हैं उनके बारे में सोच सोच कर आप खुश रहे।
अपनी शक्ति का कितना गुरूर था इंशान को कुछ वक्त पहले उफ्फ...... प्रक्रति ने जरा आईना क्या दिखाया, अपनी औकात समझ मे आ गयी ।