त्याग बेहद खूबसूरत है...
छलावा उसके आस पास भी नही भटकता....
जब किसी व्यक्ति के साथ कोई बुरा हादसा हो जाता है, तब उसे कविता ( प्रेम) में फरेब नज़र आने लगता है! मगर, फिर वह उन्हीं कविताओं का सहारा लेता है उस हादसे से बाहर निकलने में...
इंसान भी कितना अजीब है ना?
❤❤
खुश होने के लिए वजह की तालाश करू.....
इतना सब्र कहाँ है, मुझमें...
मैं खुबसूरती पर खूब लिखता हूँ...
आज एक दाग़ लगा, मैं तिलमिला उठा...
मैं खुद की तलाश में भटक रहा हूँ...
इस तलब में, एक रोज मैं मुझको आवाज लगाकर रोक लूँगा!
मशवरा तो खूब दिया तुमने मुझे मुस्कुराने का....
कभी सबब दो तो कोई बात बने!
मैं बहुत व्यस्थ रहती हूँ....
बस इसी सोच ने मुझे बिलकुल खाली कर रखा है...
मैं बेवजह हँस देता हूँ....
वजह की राह कब तक देखूँ..
सुबह की ताक में मैं इतना मशरूफ हो गया...
रात में तारों से भरा खूबसूरत आसमां मैंने देखा ही नहीं.....