Amjad Raza
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उसने सीने से लगाया जब मै रोया था, अब हाल अच्छा भी हो तो बेहाल बता देता हूं।

तेरी जुदाई में रोया मै सुबह से शाम तक, अब तू लौट भी आया तो रोना बेशुमार आया।

यहां रंग रूप से होती है मोहब्बत, अब अपनी रूह को हम संवारे तो भला क्यों संवारे।

अब तो रूठने कि आदत भी बदल दी हमने , जिस दिन से तुमने मनाना छोड़ दिया।

मेरे लड़खड़ाते कदम पे चर्चा तो आम है, मेरे पैरों तले जो कांटें हैं उसका ज़िक्र भी नहीं।

एक मर्ज लग गया था आशिकी का मुझे, उम्र भर दर बदर फिरा पर लाइलाज रहा।

Usko Dil mein toh Basaya tha phir bhi kuchh dooriyaan rahi hongi. Usko Bewafa kaise kahoon ki uski kuchh majbooriyan rahi hongi


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