lalita Pandey
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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क्या डाल पहला कंकर कौए ने हार मान ली क्या गिरकर चीटीं ने पहाड़ से हार मान ली क्या चुनकर पहला तिनका चिड़िया ने हार मान ली तो क्या रूक कर दो पल मंजिल देख कोसो दूर हे पथिक,मानव होकर तुमने हार मान ली।

भीष्ण तपिश में,रिमझिम बरसात हैं वो मेरा साया बनकर,मेरे साथ चलती है वो।

गुमशुदा रास्तों पर भी मंजिल मिल ही जाती है, जब अपने हो साथ किस्मत खुल ही जाती हैं।

शब्दों का भराव हो सकता हैं, टूटे हदय का भराव अनिश्चित हैं।

बिछड़ने वाला प्रेम भी अजीब है,हमेशा बरसात लेकर आता हैं।

बिछड़ने वाला प्रेम भी अजीब है,हमेशा बरसात लेकर आता हैं।

जरा सुनो उन मुशिकलों से मत घबराना जो सिर्फ तुम्हारे लिये उफान मारती हैं। और उन आँखो को पहचान जाना जो सिर्फ तुम्हारे लिये मुस्कुराती हैं।

बन कुम्हार तुम मेरा बिगड़ा रूप बना देना इस माटी की काया में ज्ञान का दीप जला देना।

तुम समझते नहीं,ये दुनियां मुखोटो की है, हर चेहरे के पीछे एक रफ्तार का मुखोटा है।


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