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रिश्तों में अगर फासले बढ़ जाए, तो फ़िक्र उतनी नहीं होती, क्यूंकि कुर्बत जज़्बातों में, कायम रहती है फ़िक्र रिश्ता टूटने की तब होती है जब पास रहकर भी, एहसास अनसुने रह जाते हैं ॥